मित्रों नमस्कार,
आज आपको बदले जमाने की बात बताते हैं. हमारी ज़िन्दगी का रहन-सहन, खाना-पीना और यहॉं तक कि बोल-चाल तक बदल चुकी है. ज़माने के इस बदले दौर को हमने अपने शब्दों में बाँधने की 1 छोटी सी कोशिश की है. इस कोशिश में काव्य-पाठ झलकेगा. जरा बताएं ये कोशिश कैसी रही.....?
बदले जमाने सबको
स्टेटस अपना हाई चाहिए,
घर में इक बाईं चाहिए,
फ़ूड ज्यादा स्पाई चाहिए,
घर भी होना शाही चाहिए.
स्टेशन पर वाई-फाई चाहिए,
बाइक की स्पीड हाई चाहिए,
कार में फीचर शाही चाहिए,
प्लेन ज्यादा फ्लाई चाहिए.
इंटरनेट की स्पीड हाई चाहिए,
व्हाट्स एप्प डेटा हाई चाहिए,
एफबी डेटा भी हाई चाहिए,
पर बिल हमको राई चाहिए.
जॉब हमको शाही चाहिए,
सेलरी सबको हाई चाहिए,
वोर्कलोड भी ना ही चाहिए,
पर खर्चे सबको राई चाहिए.
ठेकेदार को काम में ढिलाई चाहिए,
अफसरों को काम की मिठाई चाहिए,
बाबुओं को अपनी जेब भराई चाहिए,
मंत्रियों को नहीं लापरवाही चाहिए.
डॉलर-ओयल की प्राइस राइज चाहिए,
शेयर-सेंसेक्स ग्राफ भी नाईस चाहिए,
सरकार के विरोधी की खिंचाई चाहिए,
पड़ोसी मुल्क का झंडा गिरा ही चाहिए.
खूबसूरत भरे नज़ारे दिखाई चाहिए,
घाटियों की खासा गहराई चाहिए,
फूलों की नहीं होनी मुरझाई चाहिए,
अतः पेड़ों की ज्यादा लगाई चाहिए.
गंगा की हमको सफाई चाहिए,
यमुना में नहीं अब काई चाहिए,
नीरा का पानी नहीं मलाई चाहिए,
इस पर न कोई ढिठाई चाहिए.
पृकृति से नहीं कोई भी छेडछाड़ चाहिए,
समन्दर नीला, बर्फ ढका पहाड़ चाहिए,
हर शहर हरियाली की तरुणाई चाहिए,
प्रदूषण का दानव अब मिटा ही चाहिए,
हर गरीब बच्चों की हमको पढ़ाई चाहिए,
भले ही चाहे ना मंदिरों की चढ़ाई चाहिए,
नोजवानों के हुनर की अब बढ़ाई चाहिए,
पर घर में बुजुर्गों की नहीं पिटाई चाहिए.
केजरी को झाड़ू, मोदी जी को सफाई चाहिए,
लालू को बिहार, नीतीश को सरकार चाहिए,
ठाकरे को मुम्बई तो अब्दुल्ला को जम्मू चाहिए,
और यूपी में मुलायम को 'अमिताभ' चाहिए.
गर्ल फ्रेंड हमें हाई-फ़ाई चाहिए,
साढ़े 5 फ़ीट उसकी लंबाई चाहिए,
कॉलेज में जिसके साथ पढ़ाई चाहिए,
पर नहीं उसका कोई भाई चाहिए.
घर में एक संस्कारी लुगाई चाहिए,
सास के साथ जरूर लड़ाई चाहिए,
रोटी जिसे पकी-पकाई चाहिए,
साड़ी-जूलरी न मिलने पर रुलाई चाहिए.
अपनी इक सुन्दर भोजाई चाहिए,
जवान हो, नहीं कोई ताई चाहिए,
लेकिन घर में नहीं पराई चाहिए,
सुबह-शाम जिससे मिलाई चाहिए.