जोखिम भरा सफर तय करना वाकई कठिन है। कदम-कदम पर मुश्किलों का सबब बनना पड़ता है। जरूरी नहीं कि आप जो फैसला लेकर जिंदगी की राह तय करने जा रहे हैं, वह आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाएगी, लेकिन यह भी एक तथ्य सच के बेहद करीब है कि सतत प्रयास और मेहनत के साथ जोखिम उठाने वालों को ही सफलता मिलती है। जुलाई का महीना खत्म होने को है। एक महीने पहले अागरा से हिसार आया था। नई जॉब थी, तो जाहिर तौर पर नया उत्साह और उमंग भी हिलोरे ले रहीं थीं। जॉब वर्क शुरू हुआ। मिनट से घंटे, घंटों से दिन और दिनों से चार हफ्ते कब गुजर गए पता नहीं चला। सरलता से नहीं गुजरे यह दिन। अब भी नहीं गुजर रहे। मन खिन्न रहता है और तन थका हुआ। दिमाग दिन भर उधेड़बुन में लगा रहता है। विचारों का द्वंद्व जेहन में इस कदर दौड़ता है, जैसे किसी व्यस्त रेलवे स्टेशन पर भीड़ का हाल रहता है। नींद-चैन उजड़ चुका है। सब कुछ बेचैन है, सिवा एक बात के। तसल्ली अपनी आर्थिक स्थिति सुधरने की बनी हुई है। यह एक तथ्य सारे झंझावतों को हर दिन नई ऊर्जा देने का कारण बना हुआ है। लेकिन धन के चक्कर में अपना तन-मन सारा दांव पर लगा देना कहां तक उचित है, यह समझ नहीं आता।
एक तरफ मुझे अपनी मंजिल तक पहुंचने की हड़बड़ाहट बनी हुई है तो दूसरी ओर अपनों से पीछे छूटने की घबराहट भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रही। कहते हैं कि मंजिल पाने से बेहतर आनंद तो सफर का होता है, लेकिन यहां हालात विपरीत हैं। यह भी एक व्यवहारिक तथ्य है कि नई नौकरी में आपके समक्ष चुनौतियां अधिक और बेहतर परिणाम कम रहते हैं। विपरीत परिस्थितयों को अपने अनुकूल बनाना ही आपकी क्षमता को दर्शाता है। और किसी विद्वान ने कहा भी है कि आप अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करें यह कोई साहस की बात नहीं है बल्कि अपनी क्षमता से आगे जाकर कोई कार्य करें और उसमें सफलता मिलते तो साहस कहलाता है। बस इन्हीं सफलता भरे मंत्रों को सुनकर, पढ़कर और देखकर अपने आप को जी रहा हूं। देखता हूं कब तक हार से हार मिलेगी। यह भी संभव है कि शायद हार को हरा दूं...

