नेपाल के नए संविधान के तहत राष्ट्रपति देश के राष्ट्राध्यक्ष
होंगे, जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री के पास
होंगी। वहीं, नेपाली हिंदुओं की पूजनीय गाय राष्ट्रीय पशु
और रोडेन्ड्रॉन (बुरांश) राष्ट्रीय फूल होगा। नेपाल में अब
सत्ता का विकेंद्रीकरण होगा। केंद्र में संघीय सरकार होगी
जबकि प्रांतों में प्रांतीय सरकार होगी। जिला और ग्राम
स्तर पर भी शासन व्यवस्था होगी।
नए नियम के तहत संविधान के लागू होने के सात दिनों के भीतर
नेपाली कांग्रेस के नेता सुशील कोइराला का स्थान लेने के
लिए नए प्रधानमंत्री के चयन, 20 दिनों के भीतर नई संसद के
अध्यक्ष के चुनाव और एक महीने के भीतर नए राष्ट्रपति के चुनाव
का प्रावधान है।
आरक्षण और कोटा व्यवस्था के जरिए वंचित, क्षेत्रीय और
जातीय समुदायों के सशक्तीकरण की व्यवस्था की गई है। वहीं,
मूल निवासियों, दलितों, अछूतों और महिलाओं के लिए
स्थानीय प्रशासन, प्रांतीय और संघीय सरकार से लेकर हर स्तर
पर आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
संविधान में तीसरे लिंग यानी थर्ड जेंडर को भी मान्यता दी
गई है। सभी भाषाओं समेत जातीय भाषाओं को भी मान्यता
दी गई है। नेपाली राष्ट्र की भाषा बनी रहेगी। जबकि दो
सदनों वाली संसद, एकसदनीय विधानसभा और संघीय,
प्रांतीय और जिला स्तरीय न्यायपालिका होगी।
विरोध भी हुआ है इस संविधान का
धर्मनिरपेक्ष: नेपाल के नए संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द को लेकर
काफी आपत्ति रही है। इसे हिंदू राष्ट्र का दर्जा दिए जाने के
पक्ष में देश भर में प्रदर्शन हुए थे, मगर संविधान सभा में यह प्रस्ताव
पारित नहीं हो सका।
धार्मिक और सांस्कृति आजादी पर है मतभेद: संविधान के कुछ
अनुच्छेद में इस शब्द पर भी कुछ लोगों को आपत्ति है, जिसके तहत
प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का संरक्षण
करना है। उनका कहना है कि इससे हिंदुत्व को बढ़ावा मिलता
है।
धर्मांतरण : धर्मांतरण का मुद्दा अभी भी अनसुलझा रह गया है।
आलोचकों का कहना है कि इससे निचली जातियों वंचित
समूहों के ईसाई धर्म स्वीकार किए जाने की आशंका हमेशा
बनी रहेगी।
नागरिकता का मुद्दा: नागरिकता के मुद्दे पर भी बहस छिड़ी
हुई है। लोगों का कहना है कि संविधान महिलाओं की
नागरिकता के मामले में विभेद करता है। नए संविधान के तहत
प्रस्तावित प्रांत और उनकी सीमाएं अभी तय नहीं हैं। यह एक
जटिल मुद्दा है।
Monday, September 21, 2015
Dost mulk ka samvidhan
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