मित्रों नमस्कार,
'करेंगे आप, ये आपका वादा था.
अब आप ही करेंगे, ये आपका दावा रहेगा.
आप करके दिखाएंगे ये आपकी कसौटी होगी.'
उत्तर प्रदेश. 22 करोड़ मतदाताओं की उम्मीदों का प्रदेश. जहां आज एक लहर आई. लहर नहीं सुनामी कहिए. जो लहरों से लड़ते रहे, उन्हें उम्मीद नहीं थी सुनामी आएगी. अब उसी रौ में भगवा लहरा रहा है. हर तरफ. हर जगह. हर जाति पर. हर मजहब पर. हर शख्स पर भगवा रंग चढ़ा है. न मालुम पड़ता है कौन हिंदू है कौन मुसलमान. हुकुमत बदल चुकी है. हाकिम नए होंगे. हुक्मरान भी बदलने वाले हैं. चेहरे तय हो चुके हैं. बस सिंहासन पर बैठने की देर है. ये देर भी जल्द खत्म होगी. 15 मार्च तक का वक्त काटना होगा सिर्फ. तभी 'उत्तम प्रदेश' में 'काबिल', 'सुल्तान', 'दबंग' और 'टाइगर' सत्ता पर काबिज होंगे. साहब और सरकार ज्यों ही बैठेंगे. उनका 'मिशन-कश्मीर' की तरह 'मिशन यूपी' शुरू हो जाएगा. मिशन, मिशन ही रहेगा, ये ही उम्मीद लगाए बैठा है जनमानस. ये मिशन 'कमीशनÓ में नहीं बदलेगा, इसी आस और भरोसे से तो उन्होंने सत्ता बदली है.
- सोचा है, (किसानों ने) अब सारे कर्जे माफ होंगे.
- सोचा है, (शहरवासियों ने) सड़क, पानी और बिजली मिलेगी.
- सोचा है, (बहू-बेटियों ने) सुरक्षा है, मिल जाएगी हमको.
- सोचा है, (युवाओं ने) रोजगार मिल जाएगा उनको.
- सोचा है, (उद्यमियों ने) ईधन और लागत कम होगी.
- सोचा है, (गरीबों ने) आवास और शिक्षा मिलेगी.
यानी, चुनौती है. सत्ता के सामने. विपक्ष की नहीं. विरोध की नहीं. हंगामे की नहीं. शोर-शराबे की नहीं. वॉकआउट की नहीं. बिल पास होने की नहीं. न किसी आंदोलन की. बस, सिर्फ जनतंत्र की उस उम्मीद की, जिसने लोकतंत्र की कसौटी पर 'हरा-लाल' झंडा उतारकर 'भगवा' लहराया है. अब न केंद्र की फिक्र है, न राष्ट्रपति शासन की. जोड़-तोड़ की चिंता भी नहीं है. गठजोड़ करना नहीं है. बस सामने है तो जनता की उम्मीदों का आकाश. जिसे जमीन तक ला पाना असंभव तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं. इच्छा शक्ति मजबूत करनी होगी. नहीं की तो, हश्र क्या होगा. सब जानते हैं. यूपी का मिजाज. अब बदल चुका है.
परिवर्तन होता है.
सत्ता का.
खुला और साफ लफ्जों भरा जनादेश.
- 2002 में हुआ.
- 2007 में हुआ.
- 2012 में हुआ.
- अब, 2017 है.
- 2019 आएगा.
- और, 2022 भी.
मना लीजिए, जश्न. जब तक जी चाहे. आपका मन भर जाए तो जरा गौर भी फरमाइए. इस यूपी पर. जहां अपराध है. लूट-खसोट मची है. असुरक्षा है. अपहरण है तो चीरहरण भी है. महंगाई इतनी, कि रोटी नमक से ही मिलती है. गरीब, मजलूम और मजदूरों का. साग-सब्जी की खुशबू त्योहारों पर महकती है. इधर, विकास के इंजन को 'बत्ती' चाहिए. नलों में पानी भी. अन्य मुददे भी हैं. क्षेत्रवार. तहसीलवार. जातिवार और विशेषतौर पर धर्मवार. वादा है आपका, मंदिर भी बनाएंगे. कोर्ट के नियमों पर गौर करते हुए. तो अब जो कहा, उसे करिए भी. लोकतंत्र की कसौटी पर खरा उतरने की आवश्यकता है. 'लुटियंस की दिल्ली' आपकी है. 'अकबर की सल्तनत' भी आपको मिल चुकी है. एक-दो नहीं 325 हैं आप. 73 सांसद हैं आपके. सिर्फ इच्छा शक्ति को और मजबूत कीजिए.
करेंगे आप, ये आपका वादा था.
अब आप ही करेंगे, ये आपका दावा रहेगा.
आप करके दिखाएंगे ये आपकी कसौटी होगी.
आपका,
गौरव
No comments:
Post a Comment