Thursday, July 13, 2017

वुमेन क्रिकेट में 'रनक्वीन' कर रही 'राज'


वुमेन क्रिकेट में 'रनक्वीनÓ कर रही राज

शटलर साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा, रेसलर गीता फोगट, साक्षी मलिक, पैरालंपिक दीपा मलिक, बबिता कुमारी, दीपा कर्माकर. मुक्केबाज मैरीकॉम, कर्णम मल्लेश्वरी. खेल जगत में यह नाम परिचय के मोहताज नहीं है. इन्होंने देश-दुनिया के पटल पर अलग-अलग खेलों में अविस्मरणीय आयाम स्थापित किया है. इस फेहरिस्त में एक और नाम बुधवार यानी 12 जुलाई को जुड़ गया. वह नाम खेल के मैदान से निकलकर बाहर आया है. मैं बात अपनी भारतीय क्रिकेट महिला टीम की कप्तान मिताली राज की कर रहा हूं. अभी तक भारतीय क्रिकेटर सुर्खियों में रहते थे, सचिन को भगवान बना दिया गया. युवराज सिंह को सिक्सर किंग तो महेंद्र सिंह धौनी मैच फिनिशर के रूप में पहचाने गए. विराट कोहली का सिक्का टीम और बोर्ड से लेकर विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर है. उसी बीच मिताली ने अपनी काबलियत के दम पर अपने आप को साबित करके दिखाया है.
मिताली वुमेन क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज बनकर देश और दुनिया भर की मीडिया और खबरिया चैनलों की सुर्खियां बन चुकी है. आस्ट्रेलिया सरीखी मजबूत टीम के खिलाफ आईसीसी वुमेंस वल्र्ड कप के लीग मुकाबले में 34 वां रन बनाने के साथ उसने रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया. अपने 183 वन डे मैचों की पारियों में 48 बार नॉट आउट रहते हुए छह हजार रन पूरे करते ही मिताली दुनिया की सर्वाधिक रन बनाने वाली महिला का खिताब अपने नाम करा चुकी है. उसने इंग्लैंड की चार्लट एडवर्ड, आस्ट्रेलिया की धुरंधर बल्लेबाज बेलिंडा क्लार्क, कैरेन रॉल्टन और इंग्लैंड की क्लैरी टेलर को भी पीछे छोड़ दिया है.
मिताली की इस महान उपलब्धि से पहले हमें कुछ बरस पहले फ्लैशबैक में जाना होगा. साल 2001-2002 की बात है यह. लखनऊ में इंग्लैंड के विरुद्ध पहला टेस्ट मैच खेला गया. मिताली इस मैच में पहली बार किसी अंतर्राष्ट्रीय टीम के साथ टेस्ट मैच खेलने के लिए पिच पर उतरीं. लेकिन अफसोस मिताली बिना कोई रन बनाए डक यानी जीरो पर आउट हो गई. लेकिन उसने हार नहीं मानी. आज वही मिताली रनों के शिखर पर राज कर रही है.
दरअसल, मिताली का कॅरियर पहले क्रिकेट नहीं था. मिताली जहां अपने बैट से बॉल और बॉलर को डांस कराती है, उससे भी कहीं ज्यादा खुद मिताली भरतनाट्यम में भी दक्ष है. राजस्थान के जोधपुर में 3 दिसम्बर 1982 को जन्मी मिताली ने 'भरतनाट्यमÓ नृत्य में भी ट्रेंनिग प्राप्त की है. अनेक स्टेज शो भी किए हैं. लेकिन क्रिकेट की दीवानगी उनके इस हुनर पर उस वक्त भारी पड़ गई, जब डांस टीचर ने उनसे भरतनाट्यम या क्रिकेट में से किसी एक को चुनने की सलाह दे डाली. चूंकि मिताली को क्रिकेट विरासत में मिला था, इसलिए उसने खेल की रूख किया और अपने बैंकर्स पिता धीरज राज डोराई की तरह बैट बॉल को थामा. पूर्व एयरफोर्स कर्मचारी पिता धीरज ने भी मिताली को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया. उसके यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की. इसी प्रकार उसकी माँ लीला राज को भी अनेक कुर्बानियाँ बेटी के लिए देनी पड़ीं. उन्होंने बेटी की सहायता के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब खेलों के अभ्यास के पश्चात थकी-हारी लौटे तो वह अपनी बेटी का ख्याल रख सके. बचपन में जब उसके भाई को क्रिकेट की कोचिंग दी जाती थी, तब वह मौक़ा पाने पर गेंद को घुमा देती थी. तब क्रिकेटर ज्योति प्रसाद ने उसे नोटिस किया और कहा कि वह क्रिकेट की अच्छी खिलाड़ी बनेगी. मिताली के माता-पिता ने उसे आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया तथा इस प्रकार की सहायता की जिसके कारण वह अपने इस मुकाम तक पहुँच सकी है.


हैदराबाद की मिताली राज ने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 1999 में पहली बार भाग लिया. यह मैच मिल्टन कीनेस, आयरलैंड में हुआ था, जिसमें मिताली ने नाबाद 114 रन बनाए. अपने कैरियर में अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़कर दिखाया और अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में आज तक का सर्वाधिक स्कोर 214 रन बना कर कीर्तिमान स्थापित किया. यह इतिहास उसने इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए 2002 में बनाया. यह महिला क्रिकेट का सर्वाधिक रन रिकॉर्ड है. जुलाई 2006 में मिताली राज के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को उसकी ही ज़मीन पर मात दे दी, जिससे मिताली को भरपूर प्रंशसा मिली, साथ ही जीत का श्रेय भी. आस्ट्रेलिया की करेन बोल्टन का रिकार्ड तोड़ दिया जिसने 209 रन बना कर रिकार्ड स्थापित किया था. मिताली ने महिला विश्व कप 2005 में भारतीय महिला टीम की कप्तानी की. उन्होंने 2010, 2011 एवं 2012 में आईसीसी वल्र्ड रैंकिंग में प्रथम स्थान प्राप्त किया. 2003 की क्रिकेट उपलब्धियों के लिए मिताली राज को 21 सितम्बर, 2004 को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. 34 वर्षीय मिताली ने उन तमाम युवतियों के लिए एक नई राह बना डाली है, जो क्रिकेट में अपना कॅरियर बनाने का ख्बाव संजोए हुए हैं.



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