एक जोकर की कहानी याद आती है, लेकिन यह काफी चौंकाने वाली है। जब से यह कहानी सुनी है, जोकर को देख हंसी कम शक की गुंजाइश ज्यादा बढ़ जाती है। अपने ही देश की है। आतंकी घटनाओं से लगभग हर दिन रूबरू होने वाली सरजमीं से जुड़ी है। बात जम्मू और कश्मीर की कर रहा हूं। एक जोकर जो कश्मीर की वादियों को हंसाता था। लोगों की उदासी दूर कर चेहरे पर मुस्कान लाता था, लेकिन लोगों को हंसाने वाला सब के गम खुशियों में बदलने वाला एक कश्मीरी युवक कब आतंक का पर्याय बन गया कोई समझ नहीं पाया। डर और मौत का घर बन चुका आतंकी सद्दाम पाडर मौजूदा वक्त में तो जिंदा नहीं है, लेकिन उसके किस्से-कहानी आज भी वादियों में युवाओं के होंठों पर रहते हैं। सुना और पढ़ा है सिर्फ मैंने कि वह जब समय बचता था तो गांव के चौराहे पर लोगों को हंसाया करता था। साथ ही क्रिकेट खेलता दिखता था। उसके बारे में कहा जाता था कि वह लोगों को हंसाने में इतना माहिर था कि उसे देखते ही लोग हंसने लगते थे। सद्दाम को सब जोकर समझते थे, लेकिन एक जोकर ने आतंकी संगठन का हाथ थामा और उसके बाद लोग उसके नाम पर हंसने की जगह उससे डरने, सहमने लगे। यानी इंसान जोकर भी है और आतंकी भी। अब तय हम को ही खुद करना है कि बनना क्या है।
Monday, August 6, 2018
गमों का तूफान दिल में समेटकर हंसी की सुनामी लाने का नाम है जोकर
एक जोकर की कहानी याद आती है, लेकिन यह काफी चौंकाने वाली है। जब से यह कहानी सुनी है, जोकर को देख हंसी कम शक की गुंजाइश ज्यादा बढ़ जाती है। अपने ही देश की है। आतंकी घटनाओं से लगभग हर दिन रूबरू होने वाली सरजमीं से जुड़ी है। बात जम्मू और कश्मीर की कर रहा हूं। एक जोकर जो कश्मीर की वादियों को हंसाता था। लोगों की उदासी दूर कर चेहरे पर मुस्कान लाता था, लेकिन लोगों को हंसाने वाला सब के गम खुशियों में बदलने वाला एक कश्मीरी युवक कब आतंक का पर्याय बन गया कोई समझ नहीं पाया। डर और मौत का घर बन चुका आतंकी सद्दाम पाडर मौजूदा वक्त में तो जिंदा नहीं है, लेकिन उसके किस्से-कहानी आज भी वादियों में युवाओं के होंठों पर रहते हैं। सुना और पढ़ा है सिर्फ मैंने कि वह जब समय बचता था तो गांव के चौराहे पर लोगों को हंसाया करता था। साथ ही क्रिकेट खेलता दिखता था। उसके बारे में कहा जाता था कि वह लोगों को हंसाने में इतना माहिर था कि उसे देखते ही लोग हंसने लगते थे। सद्दाम को सब जोकर समझते थे, लेकिन एक जोकर ने आतंकी संगठन का हाथ थामा और उसके बाद लोग उसके नाम पर हंसने की जगह उससे डरने, सहमने लगे। यानी इंसान जोकर भी है और आतंकी भी। अब तय हम को ही खुद करना है कि बनना क्या है।
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