लाठी। यह शब्द सुनने के बाद ही दिल और दिमाग में बांस का एक मजबूत टुकड़े की तसवीर नजर आने लगती है। वर्तमान में देश के एक मजबूत संगठन का प्रतीक भी है लाठी। पंजाब और हरियाणा के लिए तो यह विशेष तौर पर पहचान रखती है। यहाँ रहवासियों के लिए किसी शान से कम नहीं है। लेकिन देखा जाए तो लगभग हर शख्स की ज़िंदगी से लाठी जुड़ी हुई है। जीवन की किसी भी अवस्था में एक बार व्यक्ति इसका प्रयोग करने से नहीं चूकता। बचपन, यौवन और बुढापा। ज़िंदगी के यह तीन रूप हैं। और मैंने महसूस किया कि लगभग तीनों ही रूपों में लाठी किसी न किसी तरह लोगों के साथ रहती है। लेकिन एक और तथ्य और मेरी समझ में 18 नवंबर को उस वक़्त आया जब मोरारी बापू जी के प्रवचन सुने। लाइव नहीं, ऑनलाइन उनके एप पर। मथुरा के विश्राम घाट पर वह राम कथा का रसास्वादन करा रहे थे।
Tuesday, November 20, 2018
लाठी है हानिकारक, प्रहारक, आधारक
लाठी। यह शब्द सुनने के बाद ही दिल और दिमाग में बांस का एक मजबूत टुकड़े की तसवीर नजर आने लगती है। वर्तमान में देश के एक मजबूत संगठन का प्रतीक भी है लाठी। पंजाब और हरियाणा के लिए तो यह विशेष तौर पर पहचान रखती है। यहाँ रहवासियों के लिए किसी शान से कम नहीं है। लेकिन देखा जाए तो लगभग हर शख्स की ज़िंदगी से लाठी जुड़ी हुई है। जीवन की किसी भी अवस्था में एक बार व्यक्ति इसका प्रयोग करने से नहीं चूकता। बचपन, यौवन और बुढापा। ज़िंदगी के यह तीन रूप हैं। और मैंने महसूस किया कि लगभग तीनों ही रूपों में लाठी किसी न किसी तरह लोगों के साथ रहती है। लेकिन एक और तथ्य और मेरी समझ में 18 नवंबर को उस वक़्त आया जब मोरारी बापू जी के प्रवचन सुने। लाइव नहीं, ऑनलाइन उनके एप पर। मथुरा के विश्राम घाट पर वह राम कथा का रसास्वादन करा रहे थे।
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