चीन विस्तारवादी नीति अपनाए हुए है. आक्रामकता उसकी फितरत है. चीन का यह रवैया 'दुनिया के दादाÓ अमेरिका को रास नहीं आ रहा. खुद अमेरिका के प्रशांत क्षेत्र के सैन्य कमांडर एडमिरल हैरी हैरिस ने यह स्वीकार किया है. अमेरिकी सैन्य कमांडर हैरिस चीन की करतूतों की तुलना आतंकवाद से कर रहे हैं. वजह साफ है, दरअसल, चीन और उत्तर कोरिया के आक्रामक तेवर अमेरिका को टेंशन दिए हुए हैं. इसीलिए बार-बार उत्तर कोरिया का उकसावे भरी धमकी और प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण चीन सागर पर चीन की बढ़ती सैन्य ताकत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आक्रामक तेवर बनाए रखने के लिए मजबूर किए हुए है. बता दें कि प्रशांत क्षेत्र के अंतर्गत चीन और उत्तर कोरिया दोनों ही देश आते हैं. इस पर अमेरिकी सैन्य व्यवस्था है, लिहाजा अमेरिका के एडमिरल हैरी हैरिस ने भविष्य में टकराव की आशंका जताई है. साथ ही दोनों देशों से सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर निपटने के लिए अमेरिका ने भारत को खड़ा कर दिया है. तभी तो एडमिरल हैरिस ने भारत की सैन्य ताकत का भरोसा दिलाया है. दक्षिण एशिया में चीन का वर्चस्व कम करने के लिए अमेरिका भारत को आगे करके अपनी लकीर बड़ी रखना चाहता है. जो न सिर्फ भारत के लिए फायदेमंद है, बल्कि भारत से जुड़े सीमा विवादों और पड़ोसी मुल्कों से मधुर संबंध बनाने में भी कारगर है. फिर चाहे भारत में संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण हो या अत्याधुनिक हथियार की मांग, अमेरिका खुलकर भारत को समर्थन दे रहा है. क्योंकि, आज फिलीपिंस जो आतंक का दर्द झेल रहा है, और अमेरिका उस पर सैन्य कार्रवाई के जरिए मल्हम लगा रहा है, वही जख्म भारत को परेशान किए हुए है. आंतकी घुसपैठ, हमले और निर्दोषों की हत्याएं, भारत में भी कम नहीं है, लेकिन यह सुकून की बात है कि दो महाशक्ति एक प्लेटफार्म पर खड़े होकर दुनिया बचाने की जंग लडऩे को तैयार हैं, जो दोनों के भविष्य के लिए बेहतर है.
Monday, August 21, 2017
भारत को आगे कर चीन और उत्तर कोरिया को रोक रहा अमेरिका
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