Monday, February 26, 2018

काउंटडाउन शुरू हो चुका है...!

दोस्तो,
हम इस साल फिर रंग-ए-सुलहकुल का आयोजन  करेंगे. पिछले साल के रंग-ए-सुलहकुल की यादें लोगों की स्मृतियों में ताजा है. इसमें 18 से ज़्यादा संस्थाओं को एक साथ रख के आगरा में सामूहिक उत्सवों की परंपरा की शुरुआत की. फिर उसके बाद कई इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित हुए. सुलहकुल का यही मकसद था, जिसमें हम सफल हुए. इस बार हम सुलहकुल को युवा लोगों की पहल और प्रतिभगिता का एक उदाहरण बनाना चाहते हैं. जल्द ही हम तारीखवार कार्यक्रम आपसे शेयर कर लेंगे.


साथियों! 
हम जनता के संसाधनों से ही जनता की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के पक्षधर हैं. रंग-ए-सुलहकुल की कुल प्रायोजक और आयोजक आगरा की जनता ही होगी. इसमें व्यक्तिगत सहयोग से लेकर संस्थागत सहयोग सभी को हम शामिल कर लें. इसमें आगरा की विरासत को सहेजने वाले आदरणीय अपने आने वाली पीढ़ी को उसकी सांस्कृतिक मशाल सौंपने का उत्सव मनाएंगे. उपलब्ध लिंक पर कार्यक्रम की सभी सूचना उपलब्ध रहेगी. 

आप सभी सादर आमन्त्रित हैं.

Sunday, February 25, 2018

डिजीटल इंडिया में भारत फिसड्डी



बस एक क्लिक करिए और आपके टेलीफून का बिल जमा हो जाएगा.
बस एक क्लिक करिए और आपका मनपसंद पिज्जा घर पर आ जाएगा.
बस एक क्लिक करिए और आपके बिजली बिल का बकाया नहीं रहेगा.
बस एक क्लिक करिए और आपके खाते में सब्सिडी का एमाउंट होगा.
बस एक क्लिक करिए और आप अपने खाते से कहीं रूपया भेज देंगे.
बस एक क्लिक
सिर्फ एक क्लिक
जी हां, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यही सपना है. यह 'डिजीटल इंडियाÓ के स्लोगन के आसरे सच होने की उम्मीद भी जताई जा रही है.

देश की कई बड़ी टेलीकॉम कंपनियां भी इस 'राजनीतिक ख्बावÓ को हकीकत में बदलने की कोशिश में जुटी हुई हैं. आपसी प्रतिस्पर्धा भी तगड़ी हो चली है. लेकिन डिजीटल इंडिया के पटल पर दिखने वाली तस्वीर का सच कुछ और ही है. यह इतना चौंकाने वाला है कि आमजन तो क्या, हाईफाई स्पीड देने का दावा करने वाली कंपनियों के सीईओ और चेयरमैन तक एकबारगी सोचने को मजबूर हो जाएंगे. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद देश में 4जी ने जो स्पीड पकड़ी है, उसे कोई रोक नहीं पा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ कड़वी भी है. देश को यदि हम दुनिया भर के अन्य देशों के सामने 4जी की स्पीड के लिहाज से खड़ा करते हैं तो सबसे अंतिम नंबर पर अपने आप को पाते हैं. ऐसे में 125 करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री का सिर गर्व से नहीं बल्कि शर्म से झुकना तय है. उनका 56 इंच का सीना घटकर आधा हो जाएगा.
अभी चंद रोज पहले ओपन सिंगल की रिपोर्ट आई है. इसमें भारत में सर्वाधिक धीमी गति का इंटरनेट चलता पाया गया है. यानी इंटरनेट की रफ्तार अपनी कछुआ गति से चल रही है और देश को भरमाया जा रहा है कि देश डिजीटल हो रहा है. हालांकि ओपन सिंगल की रिपोर्ट में भारत ने कमाल कर दिया है कि 4जी देश के 86.3 प्रतिशत हिस्से में पहुंच चुका है, लेकिन 4जी स्पीड के मामले में डिजीटल इंडिया फिसड्डी साबित हुआ है. 88 देशों की इस रिपोर्ट में भारत का नंबर सबसे लास्ट है. स्थिति कुछ यूं है कि भारत में 4जी इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की स्पीड महज 6.07 एमबीपीएस है, जबकि अन्य देश इससे कहीं ज्यादा आगे निकल चुके हैं. न सिर्फ विकसित बल्कि विकासशील देश भी अपनी टेक्नोलोजी में क्रांतिकारी बदलाव ला चुके हैं.
भारत के मुकाबले श्रीलंका में 4जी स्पीड 13.05 एमबीपीएस की है. जबकि पाकिस्तान एक कदम पीछे है. पाकिस्तान में इंटरनेट की स्पीड को 13.56 एमबीपीएस डिक्लेयर किया गया है. ओपन सिंगल की रिपोर्ट ही बतलाती है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा स्पीड देने वाला देश सिंगापुर है. जहां 44.31 एमबीपीएस की स्पीड से लोग इंटरनेट का लुत्फ उठाते हैं. नीदरलैंड जैसे छोटे देश में भी इंटरनेट की स्पीड भारत से सात गुना ज्यादा है. यहां 42.12 एमबीपीएस की रफ्तार से इंटरनेट चलता है. यानी सर्फिंग, डाउनलोडिंग, अपलोडिंग और अन्य तमाम सर्चिंग, कुछ मिनटों में नहीं बल्कि सेकेंडों में अपना रिजल्ट देने लगती है.
तो फिर यह रिपोर्ट देखने के बाद यही कहा जाएगा कि देश में विकास तो हो रहा है, लेकिन अपनी उसी रौ में, जैसे आजादी के 70 बरसों से चल रहा है. डिजीटल इंडिया में भी हम पिछड़ रहे हैं और तकनीकी के मामले में अभी कई पड़ोसी और विश्व के शक्तिशाली देशों पर ही निर्भर हैं. 

Saturday, February 17, 2018

बैंक: गरीब रूपये जमा करेंगे, अमीर उड़ा ले जाएंगे


पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले की खबर ने सबको चौंका दिया. घटाले से भी बड़ी बात थी कि नीरव मोदी देश छोड़कर भाग चुके थे, वहीं उनसे पहले विजय माल्या और ललित मोदी भी देश छोड़ चुके हैं. इसी को लेकर है hindi.oneindia.com का कार्टून 


...तो आपका पैसा अब बैंक में भी सुरक्षित नहीं है. केतन पारेख, ललित मोदी, विजय माल्या, सहाराश्री सुब्रत राय और नीरव मोदी से जुड़े मनी लान्ड्रिग के मामलों को सुनने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा. आप हाड़ तोड़ मेहनत के बाद जो कुछ मु_ी भर अपनी जमा पूंजी को बैंक में रखकर चोर-उचक्कों के चुरा लेने के डर से निश्चिंत हो जाते हैं तो अब यह बेफिक्री छोड़ दीजिए. क्योंकि बैंकों में जमा लाखों करोड़ रूपये की जमा पूंजी को कब कौन पूंजीपति एक झटके में सरकारी और बैंकिंग तंत्र के साथ मिलकर उड़ा ले जाएगा, यह कोई नहीं कह सकता है. क्योंकि, रूपये-पैसे, आभूषण और अन्य जरूरी दस्तावेजों को रखने के लिए सर्वाधिक सुरक्षित माने जाने वाले बैंकिंग सेक्टर के सिस्टम में भी अब सेंध लगने लगी है. ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलना हो या फिर हजारों करोड़ रूपये को स्विस बैंकों में ट्रांसफर करना हो. अथवा विदेशी बैंकों से कर्ज लेने के लिए भारतीय बैंकों से एलओयू लेना हो. सब कुछ बस चुटकियों का खेल हो चुका है. आंकड़े तक इस बात के गवाह हैं कि निजी क्षेत्र की तुलना में सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों की संख्या अधिक है. पिछले तीन बरसों (2014-15 से 2016-17 के बीच) के दौरान वाणिज्यिक बैंकों में धोखाधड़ी के कुल 12778 मामले सामने आए. इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 8622 मामले सामने आए, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों में 4156 मामले सामने आए.
पंजाब नेशनल बैंक के 11400 करोड़ घोटाले के सामने आने के बाद देश के सबसे बड़े बैंकिंग सिस्टम को झटका लगा है. देश के इतिहास में बैंकिंग सिस्टम का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है. हालांकि पीएनबी का प्रबंधन अपनी सफाई देकर अपनी छवि दुरूस्त करने की कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन पीएनबी की साख पर लगा यह बट्टा किसी कालिख से कम नहीं है. सवाल यह उठता है कि आखिर सिर्फ दो अधिकारियों ने स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम के जरिए संदेश भेजकर नीरव मोदी और उनके साथियों की आभूषण कंपनियों के लिए विदेशों में कर्ज का इंतजाम कर दिया. यह कहना गलत नहीं होगा कि बिना बैंक अधिकारी और कर्मचारियों के किसी भी तरह के घोटाले या वित्तीय अनियमितता को अंजाम देना संभव नहीं है. क्योंकि लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में तीन बरस के अंदर निजी और सार्वजनिक बैंकों के 12778 मामलों में कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. बेशक यह केसों के सापेक्ष कर्मचारियों की संलिप्तता की प्रतिशत दर महज 13 फीसद है, लेकिन इनमें सर्वाधिक कर्मचारी सार्वजनिक बैंकों के धोखाधड़ी मामलों में संलिप्त पाए गए हैं. इनमें जब बात की जाए निजी क्षेत्र की तो 4156 मामलों में 568 बैंक कर्मचारियों की भागीदारी सामने आई है और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के कर्मचारियों का आंकड़ा इससे भी ज्यादा है. 8622 मामलों में 1146 बैंक कर्मचारी सार्वजनिक बैंकों के हुए घोटाले में संलिप्त हुए हैं.
सरल भाषा में बैंक का मतलब होता है, ऐसे जगह जहां पैसे, रुपये का लेन-देन हो. यदि हमें अपने पैसे बचाकर रखने है तो हम बैंक में रख सकते है. अगर किसी को पैसे की जरुरत है तो वो बैंक से लोन भी ले सकता है. इसलिए बैंक से रुपये लिया भी जा सकता है और दिया भी जा सकता है. लेकिन अपने देश में तो कुछ अलग ही हाल है. जनता खून-पसीना एक करके अपनी जिंदगी और भविष्य को बेहतर बनाने के लिए बैंकों में रूपया जमा करते हैं और उस रूपये को विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोग लोन के रूप में लेकर सात समंदर पार भाग जाते हैं. आखिर ऐसा कब तक इस देश में चलता रहेगा, यह किसी को पता नहीं है. देश की सरकारें भी अपनी कान और आंखों को मूंदकर दोषियों की संरक्षणदाता बनती रहेंगी. नीरव मोदी और उनके साथियों पर कार्रवाई करने के साथ ही पीएनबी के लाखों छोटे खाताधारकों के हित सुरक्षित रहें, यह भी सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है, वरना बैंकिंग व्यवस्था से ही उनका विश्वास उठ जाएगा.



Wednesday, February 7, 2018

मंडन की बांसुरी से निकला राग भूपाली




रंग-ए-सुलहकुल इवेंट की व्यवस्था के लिए मीटिंग हुई


रंग-ए-सुलहकुल का दूसरा सीजन मार्च में आयोजित किया जाएगा. रंगकर्म को समर्पित इस इवेंट के लिए तैयारियां शुरू हो गईं. इवेंट मैनेजमेंट के लिए न्यू आगरा इंद्रपुरी की पीपुल्स लाइब्रेरिया में मीटिंग हुई.



इंक बेस्ड इलस्टे्रशन बनाए

मीटिंग में बताया कि रंग-ए-सुलहकुल का आयोजन 5 से 8 मार्च को होगा. इस अवसर पर डॉ. प्रेमशंकर, डॉ. बृजराज सिंह, फैज अली शाह नियाजी, नीतू दीक्षित, सदफ इश्तियाक, धर्मप्रकाश और मोहम्मद हिलाल ने सुझाव भी दिए. शुभम जाखड़, काजल शर्मा और अंतरा मुखर्जी ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की.





इवेंट सफल बनाने की अपील

भगत सिंह स्टडी सर्किल के मुदित, शिवानी, आशीष, श्रद्धा और अभिषेक ने भी विचार रखे. कलाकार दीपक और तनु के इंक बेस्ड इलस्ट्रेशन की प्रस्तुति दी. मंडन की बांसुरी पर राग भूपाली की जुगलबंदी ने मीटिंग को सही मुकाम तक पहुंचाया. डॉ. विजय शर्मा ने इवेंट को सफल बनाने की अपील की.