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जी हां, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यही सपना है. यह 'डिजीटल इंडियाÓ के स्लोगन के आसरे सच होने की उम्मीद भी जताई जा रही है.
देश की कई बड़ी टेलीकॉम कंपनियां भी इस 'राजनीतिक ख्बावÓ को हकीकत में बदलने की कोशिश में जुटी हुई हैं. आपसी प्रतिस्पर्धा भी तगड़ी हो चली है. लेकिन डिजीटल इंडिया के पटल पर दिखने वाली तस्वीर का सच कुछ और ही है. यह इतना चौंकाने वाला है कि आमजन तो क्या, हाईफाई स्पीड देने का दावा करने वाली कंपनियों के सीईओ और चेयरमैन तक एकबारगी सोचने को मजबूर हो जाएंगे. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद देश में 4जी ने जो स्पीड पकड़ी है, उसे कोई रोक नहीं पा रहा है, लेकिन वास्तविकता कुछ कड़वी भी है. देश को यदि हम दुनिया भर के अन्य देशों के सामने 4जी की स्पीड के लिहाज से खड़ा करते हैं तो सबसे अंतिम नंबर पर अपने आप को पाते हैं. ऐसे में 125 करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री का सिर गर्व से नहीं बल्कि शर्म से झुकना तय है. उनका 56 इंच का सीना घटकर आधा हो जाएगा.
अभी चंद रोज पहले ओपन सिंगल की रिपोर्ट आई है. इसमें भारत में सर्वाधिक धीमी गति का इंटरनेट चलता पाया गया है. यानी इंटरनेट की रफ्तार अपनी कछुआ गति से चल रही है और देश को भरमाया जा रहा है कि देश डिजीटल हो रहा है. हालांकि ओपन सिंगल की रिपोर्ट में भारत ने कमाल कर दिया है कि 4जी देश के 86.3 प्रतिशत हिस्से में पहुंच चुका है, लेकिन 4जी स्पीड के मामले में डिजीटल इंडिया फिसड्डी साबित हुआ है. 88 देशों की इस रिपोर्ट में भारत का नंबर सबसे लास्ट है. स्थिति कुछ यूं है कि भारत में 4जी इंटरनेट उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की स्पीड महज 6.07 एमबीपीएस है, जबकि अन्य देश इससे कहीं ज्यादा आगे निकल चुके हैं. न सिर्फ विकसित बल्कि विकासशील देश भी अपनी टेक्नोलोजी में क्रांतिकारी बदलाव ला चुके हैं.
भारत के मुकाबले श्रीलंका में 4जी स्पीड 13.05 एमबीपीएस की है. जबकि पाकिस्तान एक कदम पीछे है. पाकिस्तान में इंटरनेट की स्पीड को 13.56 एमबीपीएस डिक्लेयर किया गया है. ओपन सिंगल की रिपोर्ट ही बतलाती है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा स्पीड देने वाला देश सिंगापुर है. जहां 44.31 एमबीपीएस की स्पीड से लोग इंटरनेट का लुत्फ उठाते हैं. नीदरलैंड जैसे छोटे देश में भी इंटरनेट की स्पीड भारत से सात गुना ज्यादा है. यहां 42.12 एमबीपीएस की रफ्तार से इंटरनेट चलता है. यानी सर्फिंग, डाउनलोडिंग, अपलोडिंग और अन्य तमाम सर्चिंग, कुछ मिनटों में नहीं बल्कि सेकेंडों में अपना रिजल्ट देने लगती है.
तो फिर यह रिपोर्ट देखने के बाद यही कहा जाएगा कि देश में विकास तो हो रहा है, लेकिन अपनी उसी रौ में, जैसे आजादी के 70 बरसों से चल रहा है. डिजीटल इंडिया में भी हम पिछड़ रहे हैं और तकनीकी के मामले में अभी कई पड़ोसी और विश्व के शक्तिशाली देशों पर ही निर्भर हैं.



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