Monday, January 11, 2016

Amitabh thakur notice

हर अफसर अमिताभ का नोटिस टांगे !
सूबे के एक आईपीएस अधिकारी हैं। ये हैं अमिताभ ठाकुर। फिलवक्त नागरिक सुरक्षा आईजी के पद पर तैनात हैं। इन्होंने अभी हाल में बीते बुधवार को अपने चैंबर के गेट पर एक नोटिस चस्पा कर दिया। नोटिस का मजमून कुछ यूं था कि कोई भी महिला उनके केबिन या कमरे में अकेले न आए। इस नोटिस को अधिकारी ने फेसबुक पर भी पोस्ट कर दिया। मीडिया के लिए ये खबर ब्रेकिंग न्यूज बन गई है। इसके बाद लखनऊ में शाब्दिक और राजनीतिक बवाल मच गया। राज्य महिला आयोग को एक मुद्दा मिल गया। महिला संगठनों में बहस होने लगी। महिलाओं ने अपने आप को कटघरे में खड़ा मान लिया है। अमिताभ ठाकुर के सामाजिक कार्यकर्ता होने पर उंगली उठने लगी हैं। ये तमाम वाद-विवाद उठना लाजिमी है। क्योंकि अमिताभ सामान्य और आमजन तो है नहीं। उन्हें खास दर्जा हासिल है। उनके नोटिस को सूबे में राजनीतिक और खास तौर पर सत्तारूढ़ महिला समाज ने अपने ऊपर की गई टिप्पणी मान लिया है। जबकि ये गलत है। वजह साफ है, अमिताभ ठाकुर को यदि इस तरह का नोटिस लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा है तो उसके लिए जिम्मेदार खुद सत्ताशीन हैं, जिन्होंने अमिताभ सरीखे आईपीएस अधिकारी के खिलाफ माहौल बनाया। नोटिस की खिलाफत करने से पहले उन महिला संगठनों को क्या ये नहीं करना चाहिए था कि वह सूबे में महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए आवाज उठाएं ? क्या राज्य महिला आयोग को पहले अमिताभ से इस तरह की टिप्पणी के लिए मजबूर होने की वजह नहीं पूछनी चाहिए थी ? लेकिन ऐसा नहीं किया गया। खुद अमिताभ ठाकुर कहते हैं कि ये नोटिस प्रतीकात्मक है और पुरूषों को उन आरोपों से बचाने में मददगार साबित हो सकता है, जिससे पुरूष दुष्कर्म सरीखे संगीन आरोप के कारण कठघरे में खडे़ हो जाते हैं। बेशक, अमिताभ का मकसद महिलाओं को अपमानित करने का नहीं हो, लेकिन उनके इस नोटिस ने ये तो साबित कर दिया है कि समाजवाद का नारा देने वाली सरकार में न पुरूष सुरक्षित हैं और न महिलाएं। अधिकारी वर्ग भी अपने आप को महफूज नहीं मान सकता। वह भी एक पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी। क्योंकि सत्तारूढ़ लोग उसे कभी भी अपने राजनीतिक पाश में फंसाकर उल्टा टांग सकते हैं। मेरी व्यक्तिगत राय में ऐसा नोटिस सिर्फ अमिताभ ठाकुर को नहीं बल्कि सूबे के हर उस अधिकारी को अपने दरवाजे के बाहर टांगना चाहिए, जो भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ हैं। शायद, तभी सरकार अपने आप पर शर्म महसूस करें।

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