Wednesday, May 2, 2018

बदलाव: सेक्स चेंज का खेल



यूरोपीय देशोंं में पहले जहां भारत की पहचान सरोगेसी देश के रूप में होती थी, लेकिन अब सरोगेसी को लेकर कड़े नियम बनाने के बाद कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर अब यूरोपीय देशों में भारत की नई पहचान देखने को मिल रही है. आईवीएफ और सरोगेट के बाद भारत दुनिया में सबसे कम पैसों में सेक्स चेंज कराने का वाला देश बनता जा रहा है. सेक्स चेंज कराने के बढ़ते बाजार को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी चिंता जता रहा है. आंकड़ों को देखे तो बीते 10 सालों में भारत में सेक्स चेंज कराने का मार्केट धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. जानकारों का मानना है कि अगर इसी रफ्तार से कई अस्पताल खुलते रहे तो 2020 तक मार्केट दुगुना हो सकता है. इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि देश के कई मेट्रोपोलेटियन सिटी में ऐसे अस्पतालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. आपको जानकार हैरत होगी कि दुनियाभर के लोग सेक्स चेंज कराने के लिए भारत आने को आतुर है. इसके कई कारण है कि पहला तो यही है भारत में सेक्स चेंज कराने की थैरेपी बाकी के कई देशों से सस्ती और सुगम होती है. देश में बढ़ते व्यापार को लेकर दिल्ली में भी सेक्स चेंज की थैरेपी से जुड़े कई अस्पताल भी खुलने शुरू हो गए है. इन अस्पतालों में सबसे ज्यादा इन्क्वायरी विदेशों से ही आती है. हालांकि अभी दिल्ली में सेक्स चेंज ऑपरेशन का मार्केट छोटा है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है. सेक्स चेंज ऑपरेशन ज्यादा सस्ता होने के कारण विदेशों से भी लोग भारत आना चाह रहे हैं.

कई लोग अब भारत का रूख कर रहे हैं


दरअसल, यूरोप के कई देशों में सेक्स चेंज कराने का ऑपरेशन काफी महंगा होता है. लिहाजा यूरोपीय देशों के ट्रांसजेंडर्स भारत में ऑपरेशन करने की चाह रखते हैं. इससे भारत में यह बाजार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. आंकड़ों की मानें तो हर साल लगभग 200 भारतीय ही सेक्स चेंज कराने के लिए आते हैं. इसके अलावा हर साल तकरीबन 20 विदेशी ऑपरेशन के लिए भारत आते हैं. बीते दिनों यूएस आर्मी का एक रिटायर्ड जवान भी दिल्ली में सेक्स चेंज कराने के लिए आया था. बेट्टी ऐनी आर्चर नाम के इस पूर्व सैनिक ने दिल्ली के ओलमेक अस्पताल में अपना सेक्स चेंज कराया. बेट्टी ऐनी आर्चर ने अपने जिंदगी के अनुभव के बारे में बताया था कि पुरूष के शरीर में खुद को कैद महसूस कर रहा था. लिहाजा उसने जिंदगी का सबसे बड़ा निर्णय लिया. आमतौर पर थाईलैंड को सेक्स चेज कराने के लिहाज से सबसे मुफीद माना जाता था, लेकिन वहां भी ऑपरेशन की फीस बढऩे से कई लोग अब भारत का रूख कर रहे हैं.

 लिंग परिवर्तन करवाने वालों की संख्या और ऊपर जा सकती है

वैसे किसी भी व्यक्ति के सेंक्स चेज कराना आसान नहीं होता है. इसमें एक व्यक्ति कुछ ही दिनों दूसरी जिंदगी में प्रवेश कर जाता है. यानि उसको महिला से पुरूष या पुरूष से महिला बनना होता है इसके लिए उसे मानसिक तौर से भी तैयार रहना होता है. एक पुरूष जो सेक्स चेंज करना चाहता है उसे पहले 18 महीनों तक औरत की तरह रहना पड़ता है. उसे एक हार्मोन थेरेपी भी करानी पड़ती है. हालांकि अब कई ट्रांसजेंडर्स सेक्स चेंज कराने की चाहत रखते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत में सेक्स चेंज ऑपरेशन पश्चिमी देशों के मुकाबले कहीं सस्ता है और फिर यहां वेटिंग लिस्ट भी नहीं है, यानी लोगों को सालों साल इंतजार नहीं करना पड़ता.
यही नहीं दिल्ली में जहां एक ऑपरेशन के लिए चार से पांच लाख रूपए खर्च हुए तो वहीं अमेरिका में 20 लाख के आसपास का खर्च आता. सस्ती थैरेपी और ऑपरेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रही है. इससे भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. सरकार के एम वीजा योजना से भी इसमें काफी बदलाव आने की उम्मीद है. हालांकि फिलहाल यह व्यापार करीब 3 अरब डॉलर के आसपास है लेकिन जानकारों की मानें तो यह बाजार 2020 तक तकरीबन 6 अरब डॉलर के आसपास पहुंच जाएगा. इसके अलावा मायानगरी मुंबई में सेक्स चेंज कराने की भी अजब होड़ भी देखी जा रही है. ऐसे मे मेट्रेापोलेटियन सिटी में जहां नए-नए अस्पताल खुल रहे हैं, लिहाजा मेडिकल साइंस की दुनिया में एक नया बाजार बन रहा है.
दूसरी ओर सामाजिक बदलाव की भी नई इबारत लिखी जा रही है. अब सवाल यही उठ रहा है कि सेक्स चेंज करवाकर नई पहचान पाने की ये होड़ किस दिशा में जाएगी यह बहस का मुद्दा है. खबरों की मानें तो मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे में लड़के से लड़की और लड़की से लड़का बनने का क्रेज बढ़ा है. हर साल करीब 50 लड़के लड़की में तब्दील हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह ट्रेंड जितनी तेजी से बढ़ा है उससे लिंग परिवर्तन करवाने वालों की संख्या और ऊपर जा सकती है.

सरकार को कोई कार्रवाई करनी होगी

सेक्स चेंज करने वाले अस्पताल पहले शहर में पहले एक दो ही थे, लेकिन अब इनकी भी संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसके अलावा डॉक्टरों का कहना है कि मेल से फिमेल बनने की संख्या बहुत ज्यादा है. पुरुष से महिला बनना आसान भी है और सफलता का प्रतिशत भी ज्यादा है. जिन लड़कों के हाव-भाव लड़कियों जैसे नजर आते हैं, उन्हें आसानी से मेल से फिमेल बनाया जा सकता है. उन्हें बस कुछ महीनों की थैरेपी से गुजरना होता है. उसके बाद ही उनका सफल ऑपरेशन होता है. यकीनन, मेडिकल सांइस की तरक्की से जहां नए रास्ते खोजे हैं तो वहीं दूसरी ओर नई बहस को भी जन्म दिया है. वहीं भारत सरकार की मेडिकल वीजा से भी विदेशी भी आसानी से भारत आकर सेक्स चेज कराने का ऑपरेशन करा रहे हैं. मसलन भारत की भी अब एक नई पहचान विश्व मानचित्र पर बन रही है. ऐसे में इस बाजार पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार को कोई कार्रवाई करनी होगी. (क्रमश:)

योगेश मिश्रा
गेस्ट राइटर 

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