Monday, May 7, 2018

और कहूं तो...

घर-घर बसता हिंदुस्तान है.

मेरे विदेशी मित्र ने मुझसे एक बार पूछा कि आपका देश क्या है, आप कहां रहते हो? 
सवाल सीधा था, सरल था, पर शायद जवाब देने वाला नहीं. 
मैनें भी उसको कुछ यूं जवाब दिया, जो आपको बताता हूं. 

हमारा देश महान है
इसका क्या गुणगान है
सरल जिसकी जुबान है
तहजीब भी आसान है.

और कहूं तो
घर-घर बसता हिंदुस्तान है.

हर बाला देवी प्रतिमा
हर बालक भगवान है
नदी जहां पर माता है
जिसे पूजे हर इंसान है

और कहूं तो 
घर-घर बसता हिंदुस्तान है. 

हर धर्म यहां पर चलता
दिल में दिखता ईमान है
हर पर्व यहां पर मनता
उत्साह का आसमान है

और कहूं तो
घर-घर बसता हिंदुस्तान है.

गोली यहां सैनिक खाता
शहादत उनकी महान है
फिर भी मां यही कहती
मेरा बेटा देश का सम्मान है

और कहूं तो
घर-घर बसता हिंदुस्तान है.



ईसाई-मुस्लिम संग रहते
भगवान का होता गुणगान है
मंदिर में भजन-आरती गूंजे 
मस्जिद से गूंजती अजान है

और कहूं तो
घर-घर बसता हिंदुस्तान है.

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