जिंदगी भी बड़ी अजीब है. खेल निराले हैं इसके. कभी हंसाती है. गुदगुदाती है. मुस्कुराती है. छेड़ती है और छोड़कर भी चली जाती है. पल में रंग बदल लेती है. रफ्तार भी पकड़ लेती है. गुमसुम भी बैठ जाती है. आशा और निराशा. दोनों का अनुभव कराती है. मन को झिंझोड़ देती है तो सुकून का अहसास भी इसी जिंदगी में मिलता है. कुछ और भी है जिंदगी के हिस्से में.
कभी जिंदगी के सामने आगे बढऩे का एक रास्ता नहीं सूझता तो कभी कई रास्ते खोल देती है. यह हालात अकेले मेरे साथ नहीं. सबके साथ होता है. कभी एक रास्ता दिखता नहीं और जाना जरूरी होता है. कभी कई रास्ते होते हैं तो एक कदम नहीं बढ़ पाता. नहीं तय कर पाते कि कौन सा रास्ता जिंदगी को मंजिल की तरफ ले जाएगा. मंजिल तक पहुंचाएगा भी या नहीं, यह अंर्तद्वंद जिंदगी को हिलाता रहता है.
फिर भी रास्ता तो चुनना पड़ता है जिंदगी को. कई में से एक राह. गलत चुन ली तो जिंदगी से जंग शुरू हो जाती है. हर कदम पर जद्दोजहद करनी पड़ती है. और सही राह चुनी तो जिंदगी की चाल-चलन ही बदल जाती है. मंजिल का सफर आसान लगता है. यह बात अलग है कि मुश्किल होती है. शुरूआत में कठिनाई आती है, लेकिन चलती है मस्तानी चाल.यूं ही चलता रहता है इस जिंदगी का सफर. परायों का साथ छूटता नहीं है. अपनों का हाथ पकड़ नहीं आता. है ना अजब जिंदगी, पर गजब भी है जिंदगी...
रंज, गम, चैन ओ सुखन के तमाशे देखे इस जिंदगी ने,
अपनों से छूटते और परायों से जुड़ते नाते देखे जिंदगी ने.

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