कंटेंट चोरी के खतरे के बावजूद युवा राइटर्स की फस्र्ट च्वॉइस सोशल मीडिया
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| दिल्ली के युवा राइटर्स अभिषेक गोस्वामी और दिव्येश दत्ता के साथ आपका साथी गौरव लहरी. |
आगरा कॉलेज मैदान में शनिवार को अक्षरों का संसार बसा तो कई किताबों ने अपना बसेरा डाल लिया. देश-दुनिया के तमाम मुद्दों को लेकर शब्द शिल्पी यहां हाजिर हुए हैं. जो जिंदगी का मतलब अपनी किताबों के जरिए समझा रहे हैं. ऑनलाइन पर अपना कंज्यूमर तलाशने वाली युवा राइटर्स की जमात भी बुक फेयर में अपनी दस्तक दे चुकी है और वह प्रिंट मीडिया से ज्यादा सोशल मीडिया के जरिए लाइफ सक्सेस बनाने के नजरिए से इत्तेफाक रखते हैं.
जिंदगी में शार्टकट्स न अपनाएं
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| स्मिता |
'एट क्रॉस रोड्स-ग्रीड फॉर लव एंड लव ऑफ मनी' की राइटर और दिल्ली निवासी स्मिता माहेश्वरी बताती हैं कि लाइफ में कई च्वॉइस करनी पड़ती हैं. उसके लिए कुछ मुश्किल भरा रास्ता चुनते हैं तो कुछ शार्टकट्स अपनाते हैं. लेकिन शार्टकट्स अपनाने वालों की जिंदगी में उनके निजी रिश्तों पर असर पड़ता ही है. फाइनेंशियल क्राइसिस भी उभरती है, लिहाजा हमें अपनी मुश्किलों का डटकर सामना करना चाहिए, उनसे भागना नहीं चाहिए.
तकनीक ही बचा सकती है कंटेंट
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| दिव्येश दत्ता |
यू मी एंड लव...जिहाद गांधी विद गन के युवा राइटर दिव्येश दत्ता कहते हैं कि सोशल मीडिया के जमाने में कंटेंट के 'कट-पेस्ट' का चलन ज्यादा हो चुका है. हालांकि गवर्नेंस इस पर ज्यादा सीरियस है, फिर भी इससे बचा नहीं जा सकता. सिर्फ टेक्नीकली टूल्स ही हमें हमारा कंटेट सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं. लिहाजा ऑथर को चाहिए कि वह अपनी वेबसाइट, पीडीएफ और अन्य कंटेंट को सुरक्षित करने के लिए अपडेट बना रहे.
प्रिंट से ज्यादा ऑनलाइन कंज्यूमर्स हैं
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| अभिषेक गोस्वामी |
दिल्ली से ही आए 'द लोनली ड्रमरÓ के राइटर अभिषेक गोस्वामी कहते हैं कि आज वक्त बदल चुका है. वह दिन चले गए, जब एक ऑथर की बुक का मार्केट में आने का इंतजार किया जाता था, अब तो मन में ख्याल आते ही ऑथर अपनी कलम सोशल मीडिया पर चला देते हैं. इससे उन्हें अपना मैटेरियल प्रिंट से ज्यादा ऑनलाइन कंज्यूमर तक परोसने में देर नहीं लगती. स्पीड से रीडर्स मिल जाते हैं और फटाफट अपने कंटेंट के भले-बुरे का पता लग जाता है.
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