नरम बिस्तर पर अब नींद नहीं आती हमें,
जबकि पहले खटिया पर खर्राटे भरा करते थे.
नंगे बदन बच्चा आज भी उस पुतले के सामने सो गया,
जिस पर फैंसी महंगे लिबास लटके हुए थे.
भूखा सोता है एक परिवार उस रेस्तरां के आगे,
जहां दिन-रात लंच-डिनर का शोर मचा रहता है.
प्लास्टिक बोतलों को इकट्ठा कर रहा है वो बच्चा,
जो एक घूंट पानी के लिए दिन भर तरसता रहता है.
अखबार-किताबों की रद्दी खरीदने की आवाज लगाता है वो रोज सवेरे,
जो बचपन में कलम-किताब लेकर स्कूल जाने के सपने देखा करता था.
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पत्थरों को तोड़ रही है वो बच्ची्
जिसके हाथों में हथौड़ा उठाने की ताकत नहीं..
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