सरकार के सावन की दरकार
हंप्टी-डंप्टी की कविता आपने बचपन में सुनी होगी. कविता के साथ छपी तस्वीरें आज भी आपके जेहन में ताजा होंगी, लेकिन आगरा में कुछ सियासतदां ऐसे हैं, जो इन दो करेक्टर से कम नहीं हैं. वोट मांगने से पहले वह गजब के एक्टर थे और जब चुनाव जीत गए तो उनका करेक्टर सामने आ गया. अब आपसी वर्चस्व की जंग में शहर का एक मुद्दा सिर्फ आसमान में ही बादलों की तरह तैरता नजर आ रहा है. यह मुद्दा है एयरपोर्ट का. सरकार का सावन आए तो यह बादल आगरा की जमीं पर बरस जाए, लेकिन हर साल सरकार तो आती है, पर अपने साथ सावन नहीं लेकर आती.
युवाओं को मिलेगी काफी मदद
लिहाजा कुछ हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहित कर उन पर दो-चार प्लेन उतार देने की बात कहकर अपना वादा पूरा करने की बात यह सियासतदां कर रहे हैं. हो सकता है कि पब्लिक का एक बड़ा हिस्सा या तबका इससे मतलब नहीं रखता हो या फिर कहा जाए कि उसे कोई दिलचस्पी नहीं है उड़ान भरने में. उसे तो अपनी दो वक्त की रोटी चाहिए, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का स्थायी रूप से समाधान होना सीधे तौर पर आमजन और खास तौर से बेरोजगार युवाओं के लिए काफी मददगार साबित होगा.
सोसायटी के हाथों को और मजबूत बनाएं


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